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योग की आवश्यकता और उपयोगिता

भूमिका - योग संस्कृत के यज् धातु से बना है जिसका अर्थ संचालित करना संबंध करना सम्मिलित करना अथवा जोड़ना अर्थ के अनुसार विवेचना किया जाए तो शरीर एवं आत्मा का मिलन ही योग कहलाता है इसकी उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 ईसवी पूर्व में हुई थी। पहले यह विद्या गुरु शिष्य परंपरा के तहत पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को हस्तांतरित होती थी। लगभग 200 ईसवी पूर्व में महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन को योग सूत्र नामक ग्रंथ के रूप में लिखित रूप में प्रस्तुत किया इसलिए महर्षि पतंजलि को योग का प्रणेता कहा जाता है आज बाबा रामदेव योग नामक इस अचूक विद्या का देश विदेश में प्रचार कर रहे हैं।


योग के प्रकार- योग शास्त्र के अनुसार योग पाठ प्रकार के होते हैं हठयोग ध्यान योग कर्म योग भक्ति योग एवं ज्ञान होगा हठयोग का संबंध प्राण से है ध्यान योग का मन से कर्मियों का क्रिया से भक्ति योग का भावना से तथा ज्ञान योग का बुद्धि से है।

योग की आवश्यकता और उपयोगिता- योग मनुष्य को समीर बीमारियों से तो मुख रखता ही है साथ ही उनमें बेहतर सोच एवं सकारात्मक ऊर्जा भी पैदा करता है क्योंकि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में विज्ञान की प्रगति के कारण मानव जीवन जिस तरह मशीनों पर निर्भर रहने लगा है उसके लिए शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना किसी चुनौती से कम नहीं मशीनों पर निर्भरता एवं व्यवस्था के कारण आज मानव शरीर तनाव थकान बीमारी इत्यादि का घर बनता जा रहा है

योग की आवश्यकता और उपयोगिता
yoga

उसमें हर प्रकार की सुविधाएं हासिल कर ली किंतु उसके सामने शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने की चुनौती पूर्व है यद्यपि चिकित्सा एवं आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में मानव ने अत्यधिक पर गति कर अनेक प्रकार की बीमारियों पर विजय प्राप्त कर ली है किंतु इससे उसे पर्याप्त मानसिक शांति प्राप्त हो गई ऐसा कहना पूर्णता सही नहीं होगा किंतु भारतीय संस्कृति की एक प्राचीन विद्या ने मानव को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मन की शांति के संदर्भ में रोशनी की एक ऐसी किरण प्रदान की है जिसमें न केवल तनाव थकान बीमारी एवं अन्य समस्याओं का समाधान संभव है बल्कि मानव मन को शांति प्रदान करने में भी योग की अहम भूमिका है।बीसवीं सदी में जब योग को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली हुई इसे पर संपन्न अनेक वैज्ञानिक शोधों ने यह साबित कर दिया कि आधुनिक जीवन में मानव की शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ रखने में योग ही सक्षम है।


योग के लाभ- यह हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है योग का उद्देश्य शरीर मन एवं आत्मा के बीच संतुलन अर्थात योग स्थापित करना होता है योग की प्रक्रियाओं में जब तन मन और आत्मा के बीच संतुलन एवं योग स्थापित होता है तब आत्मिक संतुष्टि शांति एवं चेतना का अनुभव होता है योग शरीर को लचीला बनाए रखता है साथ ही तनाव से भी मुक्ति दिलाता है यह शरीर के जोड़ों एवं मांसपेशियों में लचीलापन आता है

meditation yoga
yoga for good health

मांसपेशियों को मजबूत बनाता है शारीरिक विकृति को काफी हद तक ठीक करता है शरीर में रक्त प्रवाह को सुचारू करता है तथा पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है उन सब के अतिरिक्त है शरीर को रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है कई प्रकार की बीमारी से निंद्रा तनाव थकान उच्च रक्तचाप चिंता को दूर करता है तथा शरीर को ऊर्जावान बनाता है योग से होने वाले मानसिक स्वास्थ्य के लाभ पर गौर करें तो पता चलता है यह मन को शांत एवं स्थिर रखता है तनाव को दूर कर सोचने की क्षमता आत्मविश्वास तथा एकाग्रता को बढ़ाता है इसलिए छात्रों शिक्षकों एवं शोधार्थियों के लिए योग विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होता है क्योंकि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ-साथ उनकी एकाग्रता भी बढ़ाता है जिससे उनके लिए अध्ययन अध्यापन की प्रक्रिया सरल हो जाता है।

meditation
meditation


उपसंहार -आज हर कोई योग के नाम पर धन कमाने की इच्छा रखता है पश्चिमी देशों में इसके प्रति आकर्षण को देखते हुए यह रोजगार का एक उत्तम जरिया बनता जा रहा है।इन सब के बावजूद आज की भागदौड़ की जिंदगी में खुद को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग बेहद आवश्यक है। वर्तमान परिवेश में योग ने सिर्फ हमारे लिए लाभकारी है बल्कि विश्व के बढ़ते प्रदूषण एवं माननीय व्यवस्थाओं से उपजी समस्याओं के निवारण के संदर्भ में इसकी सार्थकता और भी बढ़ गई है।

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